गोमती चक्र
वेसे तो ये सामान्य दिखनेवाला सस्ता और गुजरात के द्वारिका के पास गोमतीनदी मे प्राकृतिक स्वरुप मे प्राप्त एक पत्थर जेसा ही हे जिसे गोमती चक्र का नाम दिया गया हे – कुछ इसे सीपी याशंख भी समजते हे जो ८४ रत्नों में शामिल हे | उस पर उभरे हुए चक्र को भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का प्रतिक माना जाता हे ....पुराणो में इस की कथा और महात्म वर्णित हे ....शंखासुर की कथा से संबंधित मान्यताये जुडी मिलती हे | जेसे गंडकी नदी मे से स्वयंभू शालिंग्राम नर्मदा जी मे से स्वयंभू शिवलिंग .....रत्नाकर मे से शंख और मोती मिलते हे और भूमि मे से रत्न ..स्फटिक आदि ...बस भाव और श्रद्धा से ही इन सभी को दिव्यता मिलती हे |
तंत्र शास्त्र के अंतर्गत तांत्रिक क्रियाओं मे एक ऐसे दिव्य पत्थर का उपयोग किया जाता है जो दिखने में बहुत ही साधारण होता है लेकिन इसका प्रभाव असाधारण होता है। इस पत्थर को गोमती चक्र कहते हैं। गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी में ही मिलता है। तंत्र शास्त्र के ज्ञाता इस पर अनेक विध पूजन कर इसे प्राणप्रतिष्ठा से विशेष सिद्धि दायक बना देते हे |गोमती चक्र के साधारण तंत्र उपयोग इस प्रकार हैं ....मानसिक शांति ,रोग और भय से मुक्ति , दरिद्रता से मुक्ति ,कोर्ट कचेरी के मामलो मे राहत ,भुत – प्रेत बाधा ,शत्रुपीड़ा ,संतान प्राप्ति और
खास कर धन संचय ....!!!
इसकी सिद्धि के विषय में अनेको मत मतान्तर देखे जाते हे | कुछ इसे स्वयं सिद्ध बताते हे ......तो कही इसकी सिद्धि के निर्देश मिलते हे |
होली, दीवाली तथा नवरात्र आदि प्रमुख त्योहारों पर गोमती चक्र की विशेष पूजा की जाती है। ग्रहण या अमावस्या भी महत्त्वपूर्ण और सिद्धि दायक माने जाते हे |
अन्य विभिन्न मुहूर्तों के अवसर पर भी इनकी पूजा लाभदायक मानी जाती है। गुरुपुष्य योग , सर्वसिद्धि योग तथा रविपुष्य योग पर इनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। खासकर मारण , संमोहन ,वशीकरण ,स्थंभन , उच्चाटन जेसे प्रयोग में और व्यापर वृद्धि ,अचल स्थिरलक्ष्मी ,शत्रु भय –पीड़ा ,देह व्याधि ,दुस्वप्न जेसे विषयों में इसका प्रयोग अत्यंत प्रभावी देखा गया हे |
घर की चोखट पर 5 गोमती चक्र बांधे तो सारे वास्तुदोष और नकारात्मक प्रभाव दूर होते हे | पेट संबंधी रोग होने पर 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल दें तथा सुबह उस पानी को पी ले इससे पेट संबंध के –रक्त से जुड़े विभिन्न रोग दूर हो जाते है। -शीग्र धन लाभ के लिए 11 गोमती चक्र अपने पूजा स्थान मे रखे। उनके सामने ॐ श्रीयै नम: का जप करे । इससे आप जो भी कार्य या व्यवसाय करते हैं उसमे बरकत होगी और आमदनी बढनी शुरू होजाती हे । गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी मे सिंदूर तथा चावल डालकर रखे तो ये शीघ्र शुभ फल देते हैं।
इसके साथ अनेको टोटके और मान्यता जुडी हुई हे ...प्रादेशिक मत मतान्तर के रहेते कोई इसे वाममार्गी विध्या का द्योत मानते हे तो कोई मंगलदायक शुभ रत्न .....अज्ञान से दुर्लभ रत्न भी पत्थर ही माना जाता हे | ये गोमती चक्र किस प्रमाण का होना चाहिए ,किस धातु मे धारण करे ,कब सिद्ध करे , कोन सी ऊँगली मे ...कब ...केसे ये सारी विशेष जानकारी फिर कभी
भाव और श्रद्धा से ही तो यहाँ सब संभव हे l
वेसे तो ये सामान्य दिखनेवाला सस्ता और गुजरात के द्वारिका के पास गोमतीनदी मे प्राकृतिक स्वरुप मे प्राप्त एक पत्थर जेसा ही हे जिसे गोमती चक्र का नाम दिया गया हे – कुछ इसे सीपी याशंख भी समजते हे जो ८४ रत्नों में शामिल हे | उस पर उभरे हुए चक्र को भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का प्रतिक माना जाता हे ....पुराणो में इस की कथा और महात्म वर्णित हे ....शंखासुर की कथा से संबंधित मान्यताये जुडी मिलती हे | जेसे गंडकी नदी मे से स्वयंभू शालिंग्राम नर्मदा जी मे से स्वयंभू शिवलिंग .....रत्नाकर मे से शंख और मोती मिलते हे और भूमि मे से रत्न ..स्फटिक आदि ...बस भाव और श्रद्धा से ही इन सभी को दिव्यता मिलती हे |
तंत्र शास्त्र के अंतर्गत तांत्रिक क्रियाओं मे एक ऐसे दिव्य पत्थर का उपयोग किया जाता है जो दिखने में बहुत ही साधारण होता है लेकिन इसका प्रभाव असाधारण होता है। इस पत्थर को गोमती चक्र कहते हैं। गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी में ही मिलता है। तंत्र शास्त्र के ज्ञाता इस पर अनेक विध पूजन कर इसे प्राणप्रतिष्ठा से विशेष सिद्धि दायक बना देते हे |गोमती चक्र के साधारण तंत्र उपयोग इस प्रकार हैं ....मानसिक शांति ,रोग और भय से मुक्ति , दरिद्रता से मुक्ति ,कोर्ट कचेरी के मामलो मे राहत ,भुत – प्रेत बाधा ,शत्रुपीड़ा ,संतान प्राप्ति और
खास कर धन संचय ....!!!
इसकी सिद्धि के विषय में अनेको मत मतान्तर देखे जाते हे | कुछ इसे स्वयं सिद्ध बताते हे ......तो कही इसकी सिद्धि के निर्देश मिलते हे |
होली, दीवाली तथा नवरात्र आदि प्रमुख त्योहारों पर गोमती चक्र की विशेष पूजा की जाती है। ग्रहण या अमावस्या भी महत्त्वपूर्ण और सिद्धि दायक माने जाते हे |
अन्य विभिन्न मुहूर्तों के अवसर पर भी इनकी पूजा लाभदायक मानी जाती है। गुरुपुष्य योग , सर्वसिद्धि योग तथा रविपुष्य योग पर इनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। खासकर मारण , संमोहन ,वशीकरण ,स्थंभन , उच्चाटन जेसे प्रयोग में और व्यापर वृद्धि ,अचल स्थिरलक्ष्मी ,शत्रु भय –पीड़ा ,देह व्याधि ,दुस्वप्न जेसे विषयों में इसका प्रयोग अत्यंत प्रभावी देखा गया हे |
घर की चोखट पर 5 गोमती चक्र बांधे तो सारे वास्तुदोष और नकारात्मक प्रभाव दूर होते हे | पेट संबंधी रोग होने पर 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल दें तथा सुबह उस पानी को पी ले इससे पेट संबंध के –रक्त से जुड़े विभिन्न रोग दूर हो जाते है। -शीग्र धन लाभ के लिए 11 गोमती चक्र अपने पूजा स्थान मे रखे। उनके सामने ॐ श्रीयै नम: का जप करे । इससे आप जो भी कार्य या व्यवसाय करते हैं उसमे बरकत होगी और आमदनी बढनी शुरू होजाती हे । गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी मे सिंदूर तथा चावल डालकर रखे तो ये शीघ्र शुभ फल देते हैं।
इसके साथ अनेको टोटके और मान्यता जुडी हुई हे ...प्रादेशिक मत मतान्तर के रहेते कोई इसे वाममार्गी विध्या का द्योत मानते हे तो कोई मंगलदायक शुभ रत्न .....अज्ञान से दुर्लभ रत्न भी पत्थर ही माना जाता हे | ये गोमती चक्र किस प्रमाण का होना चाहिए ,किस धातु मे धारण करे ,कब सिद्ध करे , कोन सी ऊँगली मे ...कब ...केसे ये सारी विशेष जानकारी फिर कभी
भाव और श्रद्धा से ही तो यहाँ सब संभव हे l
kiya gomti chakra se ham har rog thik kar sakte h
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